विकास की होड़ ने बाढ़ को आमंत्रित किया

जब इंसानी लापरवाही बनी बाढ़ की सबसे बड़ी वजह

2025 का मानसून भारत के लिए एक चेतावनी बनकर आया। Flash flood, cloudburst, landslide और heavy rain alert जैसे शब्द अब सिर्फ खबरों में नहीं, लोगों की ज़िंदगी में गूंज रहे हैं। उत्तराखंड, हिमाचल, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड,पंजाब और कश्मीर जैसे राज्य बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

  • हजारों लोग मारे गए, सैकड़ों लापता हैं
  • खेतों की फसलें बह गईं, घर ढह गए, पुल टूट गए
  • बिजली, पानी और यातायात जैसी ज़रूरी सेवाएं ठप हो गईं
  • राहत शिविरों में लोग शरण ले रहे हैं, लेकिन ज़रूरतें अभी भी अधूरी हैं

पिपलाद फाउंडेशन की ज़मीनी पहल

जब हर तरफ तबाही थी, तब हमने चुप रहना नहीं चुना। हमने सोचा—अगर हम नहीं उठे, तो कौन उठेगा?

  • गाँव-गाँव जाकर सुखा राशन बाँटा
  • स्वच्छ पानी पहुँचाया, क्योंकि बीमारी से लड़ना भी ज़रूरी है
  • स्थानीय स्वयंसेवकों की टीम बनाई, जो हर गाँव में राहत पहुँचा रही है
  • दवाइयाँ और प्राथमिक इलाज भी पहुँचाया गया

आगे की सोच: राहत से पुनर्निर्माण तक

हम सिर्फ आज की मदद नहीं, कल की तैयारी भी कर रहे हैं:

  • घरों की मरम्मत
  • स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों की दोबारा शुरुआत
  • तालाबों की सफाई, पेड़ लगाना, और पर्यावरण शिक्षा
  • ग्राम सभाओं में बाढ़ रोकथाम की ट्रेनिंग

पिपलाद की अपील: हर राज्य से सेवा के लिए उठिए

हम चाहते हैं कि:

  • बिहार में सत्तू बाँटने वाला हाथ
  • उत्तराखंड में कंबल देने वाला दिल
  • हिमाचल में दवा पहुँचाने वाला कदम

हर राज्य से उठे। हर राज्य से जुड़े। हर राज्य से बोले—”मैं हूँ सेवा के लिए तैयार।”

कैसे जुड़ें?

  • अपने गाँव में राहत टीम बनाइए
  • पिपलाद से संपर्क कीजिए
  • राशन, दवा, कंबल, पानी—जो भी संभव हो, बाँटिए
  • और सबसे ज़रूरी—लोगों की बातें सुनिए, उन्हें अकेला मत महसूस होने दीजिए

सेवा का कोई बड़ा रूप नहीं होता।
हर छोटी मदद, किसी के लिए पूरी दुनिया बन सकती है।

बाढ़ से बचाव: प्रकृति के साथ चलना ही असली समाधान है

हमने देखा कि बाढ़ सिर्फ बारिश से नहीं आती—वो आती है जब हम प्रकृति से दूर हो जाते हैं।

समस्या के कारण:

  • पेड़ों की कटाई से मिट्टी बह जाती है
  • नदियों के किनारे अतिक्रमण से जलमार्ग संकरे हो जाते हैं
  • कचरे से नाले जाम हो जाते हैं

समाधान क्या है?

  • पेड़ लगाएं, पेड़ बचाएं
  • नदी के किनारे खाली रखें
  • कचरा न फेंकें नालों में
  • तालाब, पोखर और कुएँ पुनर्जीवित करें

आप कैसे जुड़ सकते हैं?

हर छोटी मदद किसी की बड़ी उम्मीद बन सकती है।

  • ₹100 से भी शुरुआत हो सकती है
  • अगर आप गाँव में हैं, तो स्वयंसेवक बनिए
  • अगर आप सोशल मीडिया पर हैं, तो इस बात को शेयर कीजिए

आख़िरी बात

बाढ़ ने बहुत कुछ बहा दिया है।
लेकिन अगर हम सब साथ आएं, तो हम फिर से सब कुछ बना सकते हैं।

पिपलाद वेलफेयर फाउंडेशन सिर्फ एक संस्था नहीं—ये एक भावना है।
सेवा की, संवेदना की, और बदलाव की।

संपर्क करें

पिपलाद वेलफेयर फाउंडेशन
📞 फोन: +91 8981266033
📧 ईमेल: [email protected]

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